दिवाली का जश्न और उसके बाद का पर्यावरण प्रभाव
दिवाली एक ऐसा पर्व है जो रोशनी, खुशियों और आतिशबाजी के लिए जाना जाता है। लेकिन इस उत्सव के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक मात्रा में बढ़ जाता है। हवा में धूल, धुएं और अन्य हानिकारक तत्वों का मिश्रण बहुत से लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
प्रदूषण के प्रभाव
दिवाली की रात जब पटाखों का धुआं और अन्य पदार्थ वायुमंडल में मिलते हैं, तो इसकी वजह से सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अनेक डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस समस्या पर चिंता व्यक्त की है और इसे एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बताया है।
उपाय और संचेतना
इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं। पहला, लोगों को पैट्रोलियम आधारित पटाखों का उपयोग कम से कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। दूसरा, सजगता को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय प्रशासन को शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए। इसके अलावा, पर्यावरण के प्रति सजग होकर हम छोटे-छोटे बदलाव करके प्रदूषण को कम करने में योगदान कर सकते हैं।