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दिवाली 2024 पूजा विधि: लक्ष्मी-गणेश पूजा के सही नियम और मंत्र

दिवाली का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे ‘दीपों का त्योहार’ कहा जाता है। इस पर्व पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह समृद्धि, सुख, और शांति का प्रतीक है। लक्ष्मी-गणेश पूजा करने से घर में धन, वैभव, और खुशहाली आती है। दिवाली 2024 के अवसर पर सही पूजा विधि और मंत्रों का पालन करके आप अपने घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं। आइए जानें लक्ष्मी-गणेश पूजा की सही विधि, पूजा सामग्री और मंत्रों के बारे में।

1. दिवाली पूजा की तैयारी

पूजा शुरू करने से पहले कुछ तैयारियों की आवश्यकता होती है, ताकि पूजा विधि सही तरीके से की जा सके:

  • सफाई और शुद्धि: सबसे पहले अपने घर की अच्छी तरह सफाई करें, खासकर पूजा स्थल की। इसे गंगाजल से शुद्ध करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके।
  • पूजा स्थान का चयन: पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा या घर का पूजा कक्ष सबसे शुभ माना जाता है। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को एक साफ और ऊंचे स्थान पर स्थापित करें।
  • पूजा सामग्री: पूजा के लिए मुख्य सामग्री में गंगाजल, कुमकुम, हल्दी, चावल, फल, फूल, मिठाई, नारियल, अगरबत्ती, दीपक, धूपबत्ती, लक्ष्मी जी के चरणचिन्ह, और नई मुद्रा या सिक्के शामिल होते हैं।

2. लक्ष्मी-गणेश मूर्ति स्थापना

लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए मूर्तियों को सही तरीके से स्थापित करना आवश्यक है:

  • मूर्ति की स्थापना का क्रम: सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें, क्योंकि वे विघ्नहर्ता माने जाते हैं। गणेश जी के दाईं ओर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें। इसके बाद लक्ष्मी जी के चरणचिन्ह मूर्तियों के पास रखें ताकि शुभता और समृद्धि का वास हो।
  • दीपक जलाना: पूजा स्थल के पास एक घी का दीपक जलाएं, जो पूरी पूजा के दौरान जलता रहे। इसे पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

3. लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि

पूजा के सही नियमों का पालन करने से सकारात्मकता और शांति का अनुभव होता है:

  • गणेश वंदना: सबसे पहले गणेश जी का आह्वान करें और उनकी पूजा करें। उनके माथे पर कुमकुम और चावल लगाएं। उनके आगे पुष्प, दूर्वा, और मिठाई अर्पित करें।
  • लक्ष्मी पूजा: इसके बाद माता लक्ष्मी का आह्वान करें। उनकी मूर्ति पर कुमकुम, हल्दी और चावल अर्पित करें। लक्ष्मी जी को गुलाब के फूल, कमल के फूल, और मिठाई अर्पित करें।
  • धन और श्रीसूक्त का पाठ: माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रीसूक्त और लक्ष्मी अष्टक का पाठ करें। यह पाठ समृद्धि और सुख-शांति लाने वाला माना जाता है।
  • प्रसाद चढ़ाना: पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश को प्रसाद अर्पित करें और आरती करें। आरती के दौरान कपूर जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • नवीन खाता पूजन: अगर आप व्यापारी हैं, तो इस दिन नई बहीखाता का पूजन भी करें। इससे नया वित्तीय वर्ष शुभ और सफल रहेगा।

4. लक्ष्मी-गणेश पूजा के मंत्र

पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण करने से पूजा की महिमा और बढ़ जाती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए गए हैं जिन्हें आप पूजा के समय जप सकते हैं:

  • गणेश मंत्र: ॐ गण गणपतये नमः। इस मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।
  • लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ महालक्ष्म्यै नमः। इस मंत्र का 21 बार जाप करें। यह मंत्र लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
  • श्रीसूक्त पाठ का मंत्र:
    ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजां चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह।
    श्रीसूक्त के पाठ से लक्ष्मी जी का आह्वान होता है और घर में धन-संपदा का आगमन होता है।

5. दिवाली के दिन के विशेष नियम और परंपराएं

दिवाली के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है:

  • दीपदान: लक्ष्मी पूजा के बाद घर के हर कोने में दीप जलाएं। विशेषकर मुख्य द्वार पर दीपक अवश्य जलाएं, ताकि लक्ष्मी जी का स्वागत हो सके।
  • झाड़ू का विशेष महत्व: दिवाली के दिन झाड़ू का पूजन भी किया जाता है, क्योंकि इसे माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। झाड़ू का सही स्थान पर रखना शुभ होता है।
  • दक्षिण दिशा में दीप न जलाएं: दीप जलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक को दक्षिण दिशा में न रखें। यह अशुभ माना जाता है।

6. दिवाली के पांच दिनों का महत्व

दिवाली के पर्व का उत्सव पांच दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन का अलग महत्व होता है:

  • धनतेरस (28 अक्टूबर 2024): इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा होती है। इसे नई वस्तुएं और सोना-चांदी खरीदने के लिए शुभ माना जाता है।
  • नरक चतुर्दशी (29 अक्टूबर 2024): इसे ‘छोटी दिवाली’ भी कहा जाता है। इस दिन नरकासुर के वध की स्मृति में दीप जलाए जाते हैं।
  • दिवाली (1 नवंबर 2024): इस दिन मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है।
  • गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024): इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की कथा के रूप में पूजा की जाती है।
  • भाई दूज (3 नवंबर 2024): यह दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है।

दिवाली 2024 के दौरान इन पूजा विधियों और मंत्रों का पालन करें, ताकि माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से आपके घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास हो। इस पर्व को सही ढंग से मनाकर आप दिवाली की खुशियों का पूरा आनंद उठा सकते हैं।

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