करवा चौथ 2024 का पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जो विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन का मुख्य आकर्षण चंद्रमा का दर्शन और पूजा होती है, जिसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। चंद्रमा के उदय होने का समय और पूजा की विधि जानना बहुत जरूरी है ताकि पूजा सही समय पर और सही तरीके से की जा सके।
करवा चौथ 2024 का चंद्रोदय समय
करवा चौथ के दिन चंद्रमा का दर्शन सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है। 2024 में अलग-अलग शहरों में चंद्रमा के उदय का समय अलग-अलग रहेगा। यहाँ कुछ प्रमुख शहरों के चंद्रोदय के समय दिए गए हैं:
- दिल्ली: 08:15 PM
- मुंबई: 08:30 PM
- लखनऊ: 08:10 PM
- कोलकाता: 07:50 PM
- जयपुर: 08:20 PM
- भोपाल: 08:25 PM
- अहमदाबाद: 08:40 PM
ध्यान रखें कि समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग या समाचार पत्रों से सही समय की जानकारी प्राप्त करें।
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा विधि काफी विस्तृत और विशेष होती है। इस पूजा के लिए महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और चंद्रमा के उदय होने के बाद विशेष विधि से पूजा करती हैं। आइए जानते हैं करवा चौथ की संपूर्ण पूजा विधि:
- सरगी: करवा चौथ के दिन की शुरुआत सरगी से होती है, जिसे महिलाएं सूर्योदय से पहले ग्रहण करती हैं। सरगी उनके ससुराल पक्ष द्वारा भेजी जाती है, जिसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, और खासतौर पर पानी शामिल होता है। सरगी खाने के बाद महिलाएं दिन भर जल और अन्न ग्रहण नहीं करतीं।
- व्रत और शृंगार: महिलाएं करवा चौथ पर सुंदर परिधान पहनती हैं और पूरे शृंगार के साथ सजती हैं। यह शृंगार सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक होता है। मेहंदी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँ और अन्य आभूषण पहनकर महिलाएं इस दिन को खास बनाती हैं।
- करवा चौथ कथा सुनना: संध्या के समय महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं। यह कथा वीरवती और उनके पति की कहानी होती है, जिसमें प्रेम, त्याग और समर्पण की महत्ता को दर्शाया जाता है। इस कथा को सुनने से व्रत की पूर्णता मानी जाती है।
- करवा माता की पूजा: पूजा के समय महिलाएं करवा माता और भगवान शिव, माता पार्वती, और गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा की थाली में करवा (मिट्टी का घड़ा), जल, फल, मिठाई, धूप, दीप और चावल होते हैं। करवा चौथ की पूजा का प्रमुख हिस्सा करवा को संकल्पपूर्वक पूजा में शामिल करना होता है।
- चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य: चंद्रमा के उदय होते ही महिलाएं पूजा की थाली लेकर बाहर आती हैं। सबसे पहले, वे छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पित करना) दिया जाता है, जो व्रत की पूर्णता का संकेत होता है। इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर व्रत तोड़ते हैं।
- व्रत खोलना: चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं अपने पति से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और उनके हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। इसके बाद महिलाएं भोजन ग्रहण करती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो पति-पत्नी के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, स्वस्थ जीवन और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई और आपसी प्रेम, समर्पण, और विश्वास को दर्शाता है।
पूजा सामग्री (पूजा की थाली)
करवा चौथ की पूजा सामग्री में निम्नलिखित वस्तुएं शामिल होती हैं:
- करवा (मिट्टी का घड़ा)
- जल का लोटा
- छलनी (चंद्रमा दर्शन के लिए)
- मिठाई और फल
- चावल और सिंदूर
- धूप, दीप, और घी का दीपक
- सजावट के लिए फूल और मेहंदी
निष्कर्ष
करवा चौथ का त्योहार भारतीय महिलाओं के लिए विशेष स्थान रखता है, जो अपने जीवनसाथी की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। 2024 में करवा चौथ का पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसमें चंद्रमा का दर्शन महत्वपूर्ण होगा। पूजा की विधि और चंद्रोदय के समय का पालन करते हुए महिलाएं इस दिन को सफलतापूर्वक मना सकती हैं।