धनतेरस, जो भारत में सोना और गहनों की खरीदारी का सबसे बड़ा दिन माना जाता है, इस बार उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकता है। बाजार विशेषज्ञों ने 2024 में गहनों की बिक्री में संभावित गिरावट की चेतावनी दी है। यह त्योहारी सीजन, जो सामान्यतः गहनों की खरीदारी के लिए महत्वपूर्ण होता है, इस बार कुछ अलग ट्रेंड दिखा सकता है।
बिक्री में गिरावट के संभावित कारण
- मुद्रास्फीति और बढ़ती कीमतें: सोने और अन्य कीमती धातुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के चलते, इस साल गहनों की मांग कमजोर रहने की संभावना है। लोग सोने की ऊंची कीमतों के कारण खरीदारी को टाल सकते हैं, जिससे बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
- डिजिटल गोल्ड और निवेश के विकल्प: पिछले कुछ सालों में डिजिटल गोल्ड और अन्य निवेश विकल्पों का चलन बढ़ा है। युवा पीढ़ी और नए निवेशक अब पारंपरिक गहनों की बजाय डिजिटल निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे सोने के गहनों की बिक्री पर असर पड़ सकता है।
- आर्थिक अस्थिरता: हाल ही में वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और महंगाई ने लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित किया है। लोग इस बार धनतेरस पर बड़े निवेश करने के बजाय छोटे और ज़रूरी खर्चों पर ध्यान दे सकते हैं।
छूट और ऑफर्स भी नहीं देंगे राहत
हालांकि हर साल की तरह इस बार भी धनतेरस के अवसर पर आकर्षक छूट और ऑफर्स दिए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति इस बार काम नहीं आएगी। लोग गहनों पर खर्च करने के बजाय वैकल्पिक निवेश जैसे रियल एस्टेट, शेयर मार्केट या डिजिटल गोल्ड में अधिक रुचि दिखा सकते हैं।
बाजार विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्राहकों का व्यवहार बदल रहा है। वे अब गहनों को सिर्फ फैशन या पारंपरिक निवेश के रूप में नहीं देख रहे हैं। लोग अब मूल्य में स्थिरता और तरलता वाले विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, जो गहनों की मांग को कम कर रहा है। इसके अलावा, ऑनलाइन खरीदारी और नए डिजिटल प्लेटफार्म भी गहनों की बिक्री को प्रभावित कर सकते हैं।
क्या होगा बाजार का हाल?
गहनों की कम बिक्री का असर ज्वेलर्स और पूरे बाजार पर पड़ेगा। हालांकि कुछ प्रमुख ज्वेलरी ब्रांड्स अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए विशेष योजनाएं और नए डिज़ाइन प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन यह देखना होगा कि ये योजनाएं कितनी कारगर साबित होंगी।
निष्कर्ष
धनतेरस 2024 पर गहनों की बिक्री में गिरावट की संभावना बाजार के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग इस बार पारंपरिक गहनों की बजाय वैकल्पिक निवेश के साधनों को प्राथमिकता देंगे। ऐसे में ज्वेलर्स को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है ताकि वे इस बदलते ट्रेंड का मुकाबला कर सकें।