मोदी सरकार ने हाल ही में एक नई पेंशन योजना को मंजूरी दी है, जिसने देश भर में चर्चा का विषय बना दिया है। इस योजना के तहत अब 25 साल की सेवा पूरी करने पर कर्मचारियों को 50% पेंशन दी जाएगी। इस नई योजना का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) रखा गया है, जो कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) का स्थान लेगी।
UPS: पुरानी और नई पेंशन योजनाओं का समन्वय
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को सरकार ने पुरानी और नई पेंशन योजनाओं के फायदे को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। जहां OPS में कर्मचारियों को सरकार की ओर से सुनिश्चित पेंशन दी जाती थी, वहीं NPS में पेंशन फंड का निवेश किया जाता था, जिसके परिणामस्वरूप मिलने वाली पेंशन राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर होती थी। UPS इन दोनों योजनाओं के बीच का एक समन्वित मॉडल है, जिसमें कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन के साथ-साथ निवेश का विकल्प भी मिलेगा।
UPS के तहत मिलने वाले लाभ
UPS के तहत 25 साल की सेवा पूरी करने पर कर्मचारियों को उनकी आखिरी ड्रॉ की गई सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके अलावा, कर्मचारी अपने वेतन का एक हिस्सा पेंशन फंड में निवेश कर सकते हैं, जिससे उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त आय का भी लाभ मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
NPS और OPS की जगह UPS क्यों?
NPS और OPS दोनों ही पेंशन योजनाएं अपने-अपने समय में प्रभावी थीं, लेकिन बदलते समय के साथ सरकार ने UPS को लागू करने का निर्णय लिया है। UPS में पुरानी और नई दोनों योजनाओं के लाभ शामिल हैं, जिससे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित और सुनिश्चित आय प्राप्त होगी। इसके साथ ही, UPS का निवेश मॉडल भी भविष्य में कर्मचारियों को अतिरिक्त आय का साधन प्रदान करेगा।
मोदी सरकार की यह नई पहल UPS के रूप में कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना से जहां एक ओर सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित पेंशन मिलेगी, वहीं दूसरी ओर निवेश के विकल्प से उन्हें अतिरिक्त आय का भी अवसर मिलेगा। UPS के लागू होने से NPS और OPS का स्थान लेगा, और यह नई योजना कर्मचारियों के भविष्य को और भी सुरक्षित और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकती है।